लखनऊ शहर में लाखों लाखों रुपए के दुर्गा माता के पंडाल सजे हुए हैं कुछ दिन पहले लाखों लाखों रुपए के गणेश चतुर्थी के पंडाल सजे थे कुछ दिनों के बाद लाखों लाखों रुपए के हर मंगलवार भंडारे किए जाएंगे l
पूरे वर्ष में दसियों व्रत माताएं अपने लड़कों के लिए रखती हूं पिता कौन-कौन सी कठिनाई से कठिनाई से जूझ कर अपने बच्चों को विदेश की पढ़ाई करा कर बड़ी नौकरी करवाता है l
पिछले कई वर्षों से समाज के बीच में काम करते करते परिवारों की ऐसी भयावह स्थिति बुजुर्गों की इतनी दयनीय स्थिति देख ली है कि लगता है इन्हीं कुछ वर्षों में मैंने दुनिया भर के सारे दर्द देख लिए हैं शब्दों में बहुत सारी चीजें बयां नहीं की जा सकती हैं l
विश्वास जानिए सिर्फ एक बार समझ आती है कि हम लोग कौन सी अंधी दौड़ में खुद को दौड़ाया जा रहे हैं जिसकी मंजिल का अंदाजा हमें खुद नहीं है जिसके अंजाम बहुत ही भाआवर हैं l
ऐसा ही एक केस कल सामने अंदर से आपको हिला गया l
कुछ दिनों से वायरल से ग्रसित होने की वजह से खुद तो मेरा इस केस में जाना संभव नहीं हो पाया परंतु मेरे साथी दीपक महाजन जी ने जब इस केस को वर्णन किया और तस्वीरें साझा की जोरू फना हो गई l
एक बुजुर्ग बीमारी की हालत में जमीन पर पड़े हैं अपने घर में हम तुरंत उनके घर पहुंचे तो उनकी उल्टी सांसे चल रही थी बहुत बीमार लग रहे थे बेहोशी की हालत में थे 108 डायल करके एंबुलेंस बुलाया उसको आने में 1: 30 से 1: 45 घंटा लग गया जैसे ही हम उसको अंदर stretcher पर लाने गए तब तक उसके मुंह से खून निकल चुका था डेथ हो गई यह आरके चंद्रा जी है जो पीडब्ल्यूडी में जूनियर इंजीनियर के पद पर थे 40000 पेंशन मिलती है लेकिन घर में कूड़ा भरा हुआ था कूड़े में ही लेटे थे पूरा घर बरसात के पानी से टपक रहा था और उसी पानी में पड़े हुए थे 3 वर्ष पूर्व उनकी पत्नी की डेथ हुई थी तो 4 दिन बाद बदबू आने पर मोहल्ले वाले ने पुलिस बुलाकर इनकी बॉडी का दाह संस्कार कराया था अब हमने अभी पुलिस बुलाई है पंचनामा कराकर इस समय रात के 7: 50 हुए हैं अभी दाह संस्कार किया नहीं जा सकता कल सुबह इन का दाह संस्कार किया जाएगा इनके भतीजे से फोन पर बात हुई थी उन्होंने बताया कि मैं उन्नाव के पास पहुंच चुका हूं आ रहा हूं 2 घंटे से इंतजार कर रहे हैं अब फोन डाइवर्ट पर लगा दिया है कैसा समाज है कैसे लोग हैं अपने रिश्तेदारों को लावारिस छोड़ देते हैं अब कोई है नहीं 300 स्क्वायर फीट मेल का मकान है अब सारे रिश्तेदार इस मकान को हड़पने के लिए हाजिर हो जाए गे ।
दिव्य सेवा फाउंडेशन द्वारा एक बुजुर्ग को अस्प्ताल पहुचाने का सराहनीय प्रयास