उन्नाव -जहाँ एक तरफ देश की मोदी सरकार व प्रदेश की योगी सरकार गंगा सफाई को ले कर तरह-तरह के अभियान चलाती नज़र आ रही है तो वहीं गंगा सफाई को ले कर मौजूदा सरकार के सारे दावे अब हवा हवाई साबित होने लगे हैं जबकि अधिकतर अभियान अब सिर्फ कागजों में ही फर्राटे भरते नज़र आ रहे हैं। जी हां हम बात कर रहे हैं जीवनदायिनी गंगा की जो असाधारण धार्मिक महत्त्व के साथ भारत में सबसे बड़ी नदी है। यह नदी भारत के 11 राज्यों में आबादी के 40 प्रतिशत लोगों को पानी उपलब्ध कराती है। दूसरे शब्दों में कहें तो भारत की जीवनरेखा भी मानी जाती है परंतु अब गंगा दुनिया की छठी सबसे प्रदूषित नदी बन गई है।
आपको बता दें उन्नाव ज़िले के गंगा घाट पर लोगों को मोक्ष दिलाने वाली गंगा का पानी प्रदूषण के कारण काला पड़ रहा है। गंगा में प्रदूषण का एक प्रमुख कारण इसके तट पर निवास करने वाले लोगों द्वारा नहाने, कपड़े धोने, सार्वजनिक शौच की तरह उपयोग करने, व खुले में घूम रहे अवारा मवेशि भी एक खास वजह है जो गंगा में प्रदूषण के स्तर को और बढ़ा रहा है। जिन घाटों पर बैठकर कभी लोग गंगा के निर्मल जल में स्नान कर पापों का नाश किया करते थे आज उन घाटों से गंगा का जल दूर तो हुआ ही है साथ ही अब लोगों द्वारा पानी मे जानवरों को छोड़ प्रदूषित भी किया जा रहा है।
गंगा नदी को स्वच्छ बनाने के लिये केन्द्र एवं राज्य सरकारों ने कई योजनाएँ बनाई हैं। हालांकि इन योजनाओं के तहत करोड़ों रुपए प्रदान किये गए हैं। गौरतलब है कि उन्नाव मेें ही गंगा को स्वच्छ करने के लिये काफी खर्चा किया गया, लेकिन इतने खर्चे के बावजूद भी गंगा के पानी में प्रदूषण की मात्रा कम नहीं हुई। इसी क्रम में गंगा नदी को 'राष्ट्रीय धरोहर' भी घोषित कर दिया गया है और 'गंगा एक्शन प्लान व राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना' लागू की गई है। सरकार द्वारा इन योजनाओं पर अरबों रुपए खर्च किये जा चुके हैं लेकिन हकीकत में क्या गंगा के प्रदूषण में कमी आई है? सच्चाई तो यह है कि इस सबके बावजूद गंगा नदी के प्रदूषण में कमी दृष्टिगोचर नहीं होती है। योजनाएँ तो अच्छी हैं परन्तु जब तक इन योजनाओं का वास्तविक रूप से सही मायनों में क्रियान्वयन नहीं किया जाता तब तक इनका कोई प्रभाव दिखाई देना मुश्किल है। जनता भी इस विषय पर जागृत हुई है। इसके साथ ही धार्मिक भावनाएँ आहत न हों इसके भी प्रयत्न किये जा रहे हैं। इतना सब कुछ होने के बावजूद गंगा के अस्तित्व पर संकट के बादल छाए हुए हैं। अब देखना ये है कि क्या नगर पालिका उन्नाव ज़िले में बने घाटों पर घूम रहे आवारा एवं पालतू मवेशियों के मालिकों पर कार्यवाही करेंगे या फिर यूँ ही प्रधानमंत्री के नमामी गंगे को ठेंगा दिखाया जा रहा ।